लखनऊ। एक ओर देश में साहित्यकारों का बड़ा वर्ग सरकार से मिलेे सम्मान पुरस्कारों को लौटाने में लगा है वहीं दूसरी ओर देश के सबसे बड़े सूबे यूपी की राजधानी लखनऊ में साहित्य, कला और अन्य कलाओं से जुड़ी मशहूर हस्तियां एक-एक कर संसार से ही विदा ले रही हैं। लखनऊ को एक के बाद एक कई झटके इन हस्तियों के जाने से लगे हैं। कई हस्तियां बीमार हैं। यूपी सरकार उनकी फिक्र कर भी रही है। उनका इलाज भी करवा रही है। पहली हस्ती थे वाराणसी के परम्रागत संगीत खानदान में जन्मे अर्जुन मिश्र लखनऊ घराने के कथक के विख्यात नर्तक थे। पण्डित अर्जुन मिश्र को पिता नान्हू मिश्र ने तबले और संगीत की विधिवत शिक्षा देना पांच वर्ष की उम्र में ही शुरू कर दिया था। कथक की विधिवत तालीम उन्होंने अपने चाचा रामनारायण मिश्र से ली। साथ ही इस उत्तर भारतीय प्रमुख शास्त्रीय नृत्य शैली की बारीकियों को पद्मविभूषण बिरजू महाराज से गहनता से सीखा। अमेरिका, सोवियत रूस, मिस्र, जापान, जर्मनी, थाईलैण्ड, सिंगापुर, इजरायल, इटली सहित दुनिया के अनेक देशों में कथक के प्रदर्शन किये। उत्तर प्रदेश संगीत नाटक अकादमी अवार्ड प्राप्त अर्जुन मिश्र अकादमी के कथक केन्द्र के निदेशक भी रहे। लगभग दो दशक पहले उन्होंने यहां कथक अकादमी की स्थापना की और तबसे बराबर अकादमी के माध्यम से अनेक देशी-विदेशी शिष्य-शिष्याओं को तैयार करते हुए कथक को विस्तार देते रहे। गुरु अर्जुन मिश्र के बारे में कहा जाता है कि वे अपने शिष्य-शिष्याओं को बहुत शीघ्र ही मंच प्रदर्शन के लायक बना देते थे। इन्होंने भी कुछ पहले संसार को अलविदा कह दिया। इसके बाद रंगकर्मी, फिल्मकार, लेखक, कवि व एक बेहद खुशमिजाज इंसान जुगल किशोर का रविवार देर शाम हृदयगति रुकने से निधन हो गया। वह लखनऊ के रजनीखंड स्थित अपने आवास पर थे। उन्हें आनन फानन में केजीएमयू ले जाया गया, लेकिन रास्ते में ही उनका निधन हो गया।
वैसे तो जुगुल किशोर को पहचान देने के लिए वसीयत, दबंग टू, पीपली लाइव, बाबर, कॉफी हाउस, मैं मेरी पत्नी और वो जैसी कई फिल्में और बहुत सारे सम्मान हैं, लेकिन वास्तव में उनकी पसंद लोक कला ही थी। कविता, लेख, फीचर और एक्टिंग यानी अभिव्यक्ति की बहुमुखी प्रतिभा के धनी इस व्यक्तित्व ने लुप्त हो रही लोक कथाओं और नाटकों को बचाने ही नहीं पहचान दिलाने के लिए काम किए। वह थियेटर से निरंतर जुड़े रहे। एक दर्जन से ज्यादा हिट फिल्मों में उन्होंने अपने किरदार को जीवंत किया। बोन कैंसर से ग्रसित 57 वर्षीय अर्जुन मिश्र लगभग एक महीने से यहां सहारा हास्पिटल में भर्ती थे और पिछले 17 दिनों से वेण्टीलेटर पर थे। हिंदी लेखक और आलोचक मुद्रारक्षस भी काफी गंभीर रूप से बीमार चल रहे हैं और उनकी भी तबियत ठीक नहीं है। इसी प्रकार गजल गायक बेगम सहिबा की भी तबियत काफी नासाज है। देखाजाये तो लखनऊ में कला से जुड़ी हस्तियों का इस तरह से एक के बाद एक करके जाना काफी दुखदायक है।