डेस्क। यूपी बीजेपी ने 23 जिलों में तो उसने क्लीन स्वीप किया है। इसके बाद भी कुछ जिलों में उसे मायूसी भी मिली है। इन सभी के बीच कुछ ऐसे जिले हैं जहां क्लीन स्वीप के बाद भी मतों का अंतर पिछली बार से कम है। इससे नए विधायकों के माथे पर चिंता की लकीरें दिख रही हैं। पीएम मोदी का संसदीय क्षेत्र वाराणसी भी इन्हीं में से एक है। वाराणसी में भाजपा गठबंधन ने लगातार दूसरी बार सभी आठ सीटों पर कब्जा जमाया है। इसके बाद भी यहां के विधायक मतों का अंतर घटने से चिंतित भी नजर आ रहे हैं। शहर दक्षिणी सीट पर तो सांसें अंतिर तीन राउंड तक अटकी रहीं। यहां से भाजपा के डॉ. नीलकंठ तिवारी 10722 मतों से जीते। पिछली बार 17163 वोटों का अंतर था। निर्वाचन आयोग के आंकड़ों के मुताबिक पिंडरा में डॉ. अवधेश सिंह इस चुनाव में 35559 मत से जीते हैं। पिछली बार यह आंकड़ा 36951 था। शिवपुर से भाजपा के अनिल राजभर 27687 मतों से जीते जबकि पिछली बार 54160 वोटों से जीत मिली थी। शहर उत्तरी सीट से भाजपा के रवीन्द्र जायसवाल को 40776 वोट से विजय मिली पर पिछली बार उन्होंने 45300 वोटों से विपक्षी उम्मीदवार को शिकस्त दी थी। रोहनिया सीट पर भाजपा के सहयोगी अपना दल (एस) से जीते डॉ. सुनील पटेल का भी (46472 वोटों का अंतर) पिछली बार जीते भाजपा के सुरेन्द्र नारायण सिंह (57491 मत) से कम रहा है। अजगरा सीट पर पिछली बार सुभासपा (उस समय भाजपा गठबंधन में शामिल) के कैलाश सोनकर 21362 मतों से जीते थे, लेकिन इस बार भाजपा से त्रिभुवन राम के मतों का अंतर कम हो गया। वह 9160 वोट से जीते। केवल वाराणसी कैंट से भाजपा के सौरभ श्रीवास्तव ने पिछली बार से ज्यादा मतों के अंतर से जीत हासिल की है। कैंट में भाजपा ने 86844 वोटों से बाजी मारी है। पिछली बार जीत का अंतर 61190 वोटों का रहा।