श्यामल मुखर्जी, गाजियाबाद। इस बार विधानसभा चुनावों में गाजियाबाद जनपद से गाजियाबाद सदर तथा साहिबाबाद की सीट पर तो जीत आसान मानी जा रही थी परंतु देहात क्षेत्र के लोनी मोदीनगर तथा मुरादनगर सीटों पर भगवा इतना चटक रंग दिखाएगा इसका गुमान शायद किसी को न था। गाजियाबाद को गेटवे ऑफ उत्तर प्रदेश कहा जाता है। लगभग 1 वर्ष तक चले किसान आंदोलन का सबसे ज्यादा असर ग्रामीण क्षेत्रों में देखने को मिला था। यूपी गेट पर बैठे आंदोलनरत किसानों ने केंद्र तथा प्रदेश सरकार के लिए काफी मुश्किलें खड़ी कर दी थी परंतु जब विधानसभा चुनावों के नतीजे आए तो गाजियाबाद जनपद में भी कमल अपने पूर्ण विन्यास के साथ खिला । यह कहना अतिशयोक्ति न होगी कि मोदी और योगी का जादू किसान आंदोलन पर सर्वथा भारी पड़ा। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का जनपद में 5 बार दौरा किया जाना भी इस शानदार जीत का एक मुख्य कारण रहा । हालांकि मुस्लिम बहुल क्षेत्रों में साइकिल थोड़ी तेज रफ्तार से चली परंतु अन्य क्षेत्रों में जाकर उसकी हवा निकल गई। असदुद्दीन ओवैसी की कार पर गोली चलने के कारण उन्हें जनता से सहानुभूति मिलने की पूरी आशा थी परंतु उन्हें भी इसमें कोई सफलता नहीं मिली। चुनाव में सभी पार्टियों के दिग्गजों, जिनमें गठबंधन के अखिलेश जयंत, बसपा सुप्रीमो मायावती, कांग्रेस की प्रियंका गांधी सभी के दौरे एवं रोड शो गाजियाबाद में हुए परंतु भाजपा के अलावा किसी अन्य पार्टी को रैलियों तथा रोड शो का लाभ नहीं मिल पाया। बसपा से लोनी तथा मुरादनगर में मुस्लिम प्रत्याशियों के उतारे जाने के बावजूद मुस्लिमों की ज्यादातर वोटिंग गठबंधन को हुई। 2012 में जहां पांचो विधानसभा सीटों पर भर्ती की सिंघाड़ सुनाई पड़ी थी वहीं इस बार बसपा प्रत्याशी अपनी जमानत तक नहीं बचा पाए। कांग्रेस का भी कमोबेश यही हाल रहा । कांग्रेस का तो आलम यह रहा कि पूरे उत्तर प्रदेश में ऐसा प्रतीत होता है मानो कांग्रेस पार्टी अब वेंटिलेटर पर पहुंच गई है। उत्तर प्रदेश के अलावा पंजाब तथा उत्तराखंड एवं गोवा में भी कांग्रेस पार्टी के प्रत्याशियों ने निराश किया।