पश्चिम में सपा का गढ़ बचाने में जुटे अखिलेश

लखनऊ। भारतीय जनता पार्टी के पक्ष में बही चुनावी लहर में समाजवादी पार्टी यूं तो 48 सीटों पर सिमट गई थी लेकिन इनमें 23 सीटें तो सपा ने भाजपा के साथ कड़े मुकाबले में जीती थीं। इसलिए इन पर हार जीत का अंतर 5000 वोटों से कम रहा। अब इन्हीं सीटों को बचाने की चुनौती सपा के सामने हैं चूंकि यह सपा के गढ़ की सीटें हैं। इसलिए यहां प्रतिष्ठा भी ज्यादा लगी है। लिहाजा, राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव किलाबंदी में जुट गए हैं। समाजवादी पार्टी अब इन सीटों पर खासतौर पर फोकस कर दिया है। कम मार्जिन से हारने वाली सीटें जीतने की रणनीति तो बन रही है पर चुनौती है कि कांटे की टक्कर में जीती इन सीटों को कैसे बरकरार रखा जाए। सपा को उम्मीद है कि इस बार पश्चिम में उसके रालोद के साथ गठबंधन से उसका वोट उसे ट्रांसफर होगा। साथ ही मध्य व पूर्वांचल में भी उसके साथ आए छोटे छोटे दल उसके वोट बैंक में इजाफा करेंगे। समाजवादी पार्टी ने सहारनपुर नगर से जीते संजय गर्ग को फिर उम्मीदवार बनाया है। इसी तरह नजीबाबाद, सहसवान, कन्नौज, मटेरा, महमूदाबाद, नगीना सीटों पर इन्हीं सिटिंग विधायकों को उतारा है। सहसवान सीट जीते शरदवीर और हरदोई सीट पर जीते नितिन अग्रवाल अब भाजपाई होकर इन्हीं सीट पर किस्मत आजमाने की तैयारी में हैं।