भाकियू बोली: फासीवादी हमले को निर्णायक रूप से पीछे धकेला

लखनऊ। किसान यूनियन के प्रमुख राष्ट्रीय महासचिव संगठन एवं उत्तर प्रदेश के प्रदेश अध्यक्ष ललित त्यागी का कहना है किसान यूनियन के लिए आज डबल खुशी का दिन है आज ही किसान यूनियन के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष हरबिंदर सिंह संधू का जन्मदिन है और आज ही सरकार के किसानों की सभी शर्ते मान लिया उन्होंने कहा अन्य किसान संगठनों के साथ मिलकर इस आंदोलन ने न केवल भारतीय कृषि और किसानों पर कॉरपोरेट और बहुराष्ट्रीय कंपनियों द्वारा इस नव उदारवादी फासीवादी हमले को निर्णायक रूप से पीछे धकेल दिया है, इसने किसान पक्शधर सुधारों के लिए राष्ट्रीय एजेंडे में एमएसपी के मुद्दे को भी लाया है। सरकार ने समिति के एजेंडे के रूप में सभी किसानों को एमएसपी की गारंटी देने की अवधारणा को स्वीकार कर लिया है। पर यह हमारी मांग के करीब नहीं है, जो सभी किसानों के लिए सभी फसलों के लिए एमएसपी घोषित हो, बी) एमएसपी को सी 2 पर समग्र लागत के अनुसार पारदर्शी रूप से गणना की जाए और सी 2 प्लस 50त्न पर घोषित किया जाए, ओर सरकार द्वारा ऐसी व्यवस्था बनाई जाए जिसमे घोषित एमएसपी पर सभी फैसलों की सरकारी खरीद की गारंटी की जाए। इस जीत ने न केवल एमएसपी के मुद्दे पर पूरे भारत के किसानों में जागरूकता पैदा की है, बल्कि इस मांग के लिए भारत के नागरिकों के बीच व्यापक सहानुभूति और समर्थन पैदा किया है। यदि समिति परिणाम नहीं देती है, तो अब हमारा काम है कि हम इस मुद्दे पर एक राष्ट्रव्यापी संघर्ष का निर्माण करें, जो उतना ही दृढ़ हो, जैसा कि हमने अभी जीता है। हम इस बात पर प्रकाश डालना चाहते हैं कि इस आंदोलन ने अपनी अन्य उपलब्धियों के साथ-साथ आरएसएस के नेतृत्व वाली मोदी सरकार के सांप्रदायिक और फासीवादी हमले को पीछे धकेल दिया है। इसमें पंजाब द्वारा कोरोना लॉकडाउन 1, हरियाणा में कोरोना लॉकडाउन 2 और 28 जनवरी को गाजीपुर में आरएसएस और पुलिस के हमले के खिलाफ बहादुरी और दृढ़ संकल्प का विशेष महत्व है।