लॉकडाउन के अलावा कोई रास्ता नहीं : सामना

नई दिल्ली। महाराष्ट्र में कोरोना कोरोना ने त्राही त्राही मचा रखी है। कोरोना से निपटने के सारे उपाय नाकाम मालूम पड़ रहे हैं। कड़ी पाबंदियों के बादी भी कोरोना मामलों में कमी आती नहीं दिखाई दे रही है। महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने अब राज्य में सख्त लॉकडाउन लगाने के संकेत दिए हैं। शिवसेना के मुखपत्र में छपे संपादकीय से साफ संकेत मिल रहे हैं कि महाराष्ट्र में लॉकडाउन लगाया जा सकता है। मुखपत्र में लिखा है कि कोरोना से निपटने के लिए राज्य में लॉकडाउन लगाना ही पड़ेगा।मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे का कहना है कि अगर कोरोना वायरस को हराना है तो लॉकडाउन और कड़ी पाबंदियां लगानी ही पड़ेंगी। शिवसेना का मुखपत्र सामना लिखता है, “महाराष्ट्र में सख्त लॉकडाउन लगाना ही पड़ेगा, ऐसा संकेत मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने दिया है। विपक्ष को लॉकडाउन के कारण लोगों का अर्थचक्र बिगड़ जाएगा ऐसा डर लगना स्वाभाविक है, परंतु फिलहाल लोगों का जान गंवाने का जो ‘अनर्थचक्र’ जारी है, उसे रोकना है तो सख्त लॉकडाउन और पाबंदियां अपरिहार्य है, ऐसा मुख्यमंत्री का कहना है।”विपक्ष का मत सरकार से एकदम उलट है। देवेंद्र फडणवीस ने कहा कि लॉकडाउन बिल्कुल नहीं लगाया जाना चाहिए। अगर लॉकडाउन लगाया जाता है तो लोगों में आक्रोश भडक़ उठेगा। लेकिन वहीं अगर कोरोना वायरस के कहर को रोकना है तो महाराष्ट्र सरकार को लॉकडाउन के अलावा दूसरा कोई रास्ता दिखाई नहीं पड़ता है। सामना में लिखा है, “लॉकडाउन बिल्कुल नहीं, ऐसा हुआ तो लोगों का आक्रोश भडक़ उठेगा। फडणवीस के इस दावे में बिल्कुल भी सच्चाई नहीं है, ऐसा नहीं है। लेकिन कोरोना संक्रमण की शृंखला को तोडऩा है तो लॉकडाउन के अलावा और कोई विकल्प नहीं है। अब इसके अलावा अन्य कोई विकल्प होगा तो श्री फडणवीस बताएं।” पहले से लगाई गईं पाबंदियों से कोई असर पड़ता दिखाई नहीं दे रहा है। राज्य में कोरोना बेकाबू होता जा रहा है। महाराष्ट्र में आईसीयू, वेंटिलेटर, बेड की कमी हो रही है। सरकारी व प्राईवेट असप्तालों में केवल 117 बेड बचे हैं। ये चिंता का विषय है. रेमडेसिवी दवा की भी कमी है। कई जगहों पर इसकी कालाबाजारी चल रही है। मरीज ऑक्सीजन की कमी से जूझ रहे हैं। ये महाराष्ट्र की एक ऐसी तस्वीर है जो कोरोना के आगे बेबस दिखाई दे रहा है।