नई दिल्ली। सेना में महिलाओं के परमानेंट कमीशन को लेकर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि इसे लेकर आर्मी के मानक बेतुके और मनमाने हैं। यही नहीं 650 शॉर्ट सर्विस कमिशन की महिला अधिकारियों की अर्जी पर सुनवाई करते हुए शीर्ष अदालत ने भारतीय समाज को लेकर भी कड़ी टिप्पणी की। अदालत ने कहा कि भारत के समाज का ढांचा ऐसा है, जो पुरुषों के द्वारा और पुरुषों के लिए बना है। इसके साथ ही कोर्ट ने सेना को दो महीने के भीतर 650 महिलाओं की अर्जी पर पुनर्विचार करते हुए परमानेंट कमीशन दिए जाने को कहा है। सेना का शॉर्ट सर्विस कमीशन में तैनात महिलाओं की क्षमता के आकलन का जो तरीका है, वह मनमाना और बेतुका है।
कोर्ट ने अपने 137 पेज के फैसले में कहा, ‘हमें यहां यह स्वीकार करना होगा कि हमारे समाज का ढांचा है, जिसे पुरुषों के द्वारा और पुरुषों के लिए तैयार किया गया है। यहां तक कि कुछ ऐसी चीजें हैं, जो कभी हार्मलेस नहीं लगती हैं, लेकिन पितृसत्तात्मक व्यवस्था के कपट संकेत मिलते हैं।’ सुप्रीम कोर्ट ने सेना को निर्देश दिया है कि वह दो महीने के भीतर महिला अधिकारियों के लिए स्थायी कमीशन देने पर विचार करे और नियत प्रक्रिया का पालन करते हुए 2 महीने के भीतर इन्हें स्थायी कमीशन दे। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि सेना में यह जारी रहेगा और वे सभी सुवाधिआों का लाभ उठाएंगे।