सपा-बसपा से मुक्त करेंगे उप्र को-केशव मौर्य

keshaw mauryaलखनऊ अप्रैल। उप्र के भाजपा के नए प्रदेश अध्यक्ष केशव प्रसाद मौर्य ने औपचारिक रूप से पद संभालने के बाद कहा कि 2017 के आम चुनाव में 265 से ज्यादा सीटें जीत कर सरकार बनाएंगें। मौर्य ने कहा कि मुझे कार्यकर्ताओं पर भरोसा है कि वे परिवारवाद, जातिवाद और व्यक्तिवाद के खिलाफ संघर्ष करते हुए जिस तरह लोकसभा चुनावों में कांग्रेस मुक्त भारत का निर्माण हुआ उसी तरह उप्र में सपा-बसपा मुक्त उप्र को उत्तम प्रदेश बनाने का काम करेंगे।
पार्टी ने अति पिछड़े वर्ग के पुराने मजे हुए स्वयं सेवक को प्रदेश अध्यक्ष बना कर सटीक दांव खेला है। सोमवार को पार्टी के कार्यकर्ताओं में जोश नजर आया। चुनाव में बेहद कम समय होने के कारण मौर्य के सामने संगठन को चुस्त करना और तालमेल को बेहतर बनाना बड़ी चुनौती है। अगले लगभग 270 दिनों में उन्हे सभी 403 विधानसभा क्षेत्र में कार्यकर्ताओं में जोश भरने के साथ तीन दर्जन से अधिक जिलों में नये अध्यक्ष नियुक्त करने है। सभी जिलों में पार्टी संगठन के ढांचे में जान फूंकने का काम भी करना है। पार्टी के आधा दर्जन से अधिक मोर्चों और कई प्रकोष्ठों का गठन करना है।
सबसे कठिन है सोशल मीडिया को साधना
केशव मौर्य के सामने सोशल मीडिया से निपटने की सबसे कड़ी चुनौती है। आरएसएस, विहिप व भाजपा के परंपरागत ढांचे से शिक्षित होने के कारण मौर्य के सामने युवाओं तक अपना संदेश सही तरीके से पहुंचाना और सोशल मीडिया अपनी मजबूत पैठ बड़ी चुनौती है। अध्यक्ष बनने के साथ केशव के ऊपर दर्ज मुकदमें सोशल मीडिया में वायरल है। जिसके कारण उन्हे नकारात्मक प्रचार मिल रहा है। कांग्रेस, बसपा व सपा सभी का कहना है कि भाजपा ने कट्टरवादी चेहरे को कमान सौंपी है।
आपराधिक मुकदमों का जिक्र करते हुए मौर्य ने कहा कि उनके ऊपर जो भी मुकदमें है वे किसी आपराधिक घटना के कारण नहीं बल्कि जनता व कार्यकर्ताओं के हितो व सम्मान की रक्षा में राजनैतिक मुकदमें है।
उप्र भाजपा के एजेंडे में होंगें से पांच बिन्दु-
-उप्र भाजपा के नये प्रदेश अध्यक्ष ने अपना एजेंडा पेश कर दिया है। उनका पहला एजेंडा है उप्र की ध्वस्त कानून व्यवस्था का मुद्दा। राज्य में हत्या, लूट, बलात्कार और अपहरण की घटनाओं ने रिकार्ड कायम किया है।
दूसरा है, परिवारवाद, मौर्य ने कहा कि उप्र की सपा सरकार परिवारवाद में उलझी है। सरकार का ध्यान जनता के बजाए परिवार की जरूरतों को पूरा करने और खुश करने में रहता है।
तीसरा है भ्रष्टाचार-अखिलेश सरकार ने राज्य की सत्ता में आते ही भष्टाचार को बढ़ावा दिया। सपा सरकार ने पिछली बसपा सरकार के भ्रष्टाचार के खिलाफ कार्रवाई न कर उसे संरक्षण दिया। सरकार के कई मंत्री गंभीर भ्रष्टाचार में डूबे है।
चौथा भर्तियों में घोटाला- अखिलेश सरकार में हुई भर्तियों के दौरान हुए घोटलों से नौजवान खुद को ठगा हुआ महसूस कर रहा है।
पांचवा दलित व कमजोरों का उत्पीडऩ- उप्र भाजपा के एजेंडे में सपा शासन के दौरान दलितों व कमजोरों के उत्पीडऩ की घटनाओं में हुई बेतहाशा वृद्धि हुई है। जिस पर बसपा की अध्यक्ष मायावती भी मौन है, आखिर खुद को दलित की बेटी बताने वाली मायावती दलित उत्पीडऩ की घटनाओं पर चुप्पी क्यूं साधे हुए है।

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