नई दिल्ली। उपराष्ट्रपति हामिद अंसारी ने कहा है कि भारत और इंडोनेशिया के संबंध सदियों पुराने हैं और हिंद महासागर के पार बहने वाली हवाओं द्वारा गढ़े हुए हैं। वह कल इंडोनेशिया के जकार्ता में एक जनसभा को संबोधित कर रहे थे। इसमें इंडोनेशिया के विदेश मामलों के उपमंत्री ए. एम. फशीर और बड़ी संख्या में आमलोग मौजूद थे। इस दौरान उपराष्ट्रपति ने रवींद्रनाथ टैगोर की प्रसिद्ध कविता जावा का हवाला भी दिया।
उपराष्ट्रपति ने कहा कि हमारे देशों का गौरवशाली अतीत और साझे सांस्कृतिक संबंध भविष्य में सहयोग के लिए एक मजबूत मंच तैयार करेंगे। उन्होंने याद करते हुए कहा कि 2005 में दोनों देशों ने सामरिक सहयोग पर सहमति जताई थी और दो साल पहले हमारे देशों ने पांच पहलों के जरिए भारत-इंडोनेशिया सामरिक साझेदारी को मजबूत बनाने की संभावनाओं का संयुक्त रूप से आकलन किया। यह लोकतांत्रिक मूल्यों के प्रति साझा प्रतिबद्धता, बहुलवाद और विविधता पर आधारित है। उपराष्ट्रपति ने कहा कि दोनों देश दक्षिण-पूर्व एशिया में भूमिका बढ़ा रहे हैं और यह भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के पिछले वर्ष म्यांमार के ने पी ता में भारत-आसियान शिखर सम्मेलन में की गई उस टिप्पणी से परिलक्षित होता है जिसमें उन्होंने कहा था कि भारत की लुक ईस्ट पॉलिसी (पूर्व की ओर देखो नीति) अब एक्ट ईस्ट पॉलिसी (पूर्व में काम करो नीति)बन गई है। उप राष्ट्रपति ने कहा कि उनकी यात्रा भारत-इंडोनेशिया के महत्व को रेखांकित करती है। उन्होंने कहा कि हमारे व्यापार के क्षेत्रीय और दिशात्मक असंतुलन दूर करने के लिए अर्थव्यवस्था और व्यापार के क्षेत्रों में तालमेल कायम करने का प्रयास करने की जरूरत है। भारत के विशाल उपभोक्ता बाजार, युवा एवं कौशलयुक्त मानव संसाधन और सूचना प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में विशेषज्ञता को इंडोनेशिया के प्राकृतिक संसाधनों, युवा जनसंख्या एवं सामरिक स्थिति के साथ लाकर आर्थिक संबधों को बढ़ाने का मंच उपलब्ध कराया जा सकता है। उपराष्ट्रपति ने कहा कि उग्रवाद और आतंकवाद के ज्वार के उभार का दोनों देश सामना कर रहे हैं और इस तरह के खतरों से सफलतापूर्वक निपटने के लिए समान विचारधारा वाले भागीदारों के बीच मजबूत सहयोग की आवश्यकता है। भारत-इंडोनेशिया के बीच मजबूत सामरिक भागीदारी का औचित्य पहले से कही ज्यादा स्पष्ट है।
आर्थिक विकास, खाद्य सुरक्षा, आतंकवाद से मुकाबले और समुद्री सुरक्षा सहित कई मुद्दों पर आम दृष्टिकोण का जिक्र करते उन्होंने कहा कि दोनों देशों समान तरह के आर्थिक विकास के मुद्दों और शासन की चुनौतियों का सामना कर रहे हैं। उन्होंने आगे कहा कि हम एक दूसरे से काफी कुछ सीख सकते हैं और कई क्षेत्रों में सीमा से परे सहयोग की संभावनाएं लगभग अनंत हैं। उन्होंने कहा कि एशिया प्रशांत क्षेत्र और समूची दुनिया को भारत और इंडोनेशिया के बीच अधिक से अधिक सहयोग का लाभ होगा।