सीतापुर। एमसीएक्स और इंडियन काउंसिल ऑफ एग्रीकल्चरल रिसर्च रिसर्च के तहत कार्यरत जिलास्तरीय विस्तारित शैक्षणिक संगठन कृषि विज्ञान केंद्र द्वारा सीतापुर और आसपास के मेंथा के किसानों के लिए जागरुकता प्रोग्राम का आयोजन किया। इस प्रोग्राम का उद्देश्य किसानों में कमोडिटी फ्यूचर्स मार्केट्स के बारे में जानकारी देना तथा एक्सचेंज पर उपलब्ध मेंथा तेल के कांट्रैक्टों के बारे में बतलाना था जिससे कि वे सौदा कर सकें। एमसीएक्स के विशेषज्ञों ने मेंथा के किसानों को कमोडिटी फ्यूचर्स मार्केट के सौदों और मूल्य खोज पर विस्तार से जानकारी दी। उन्होंने मूल्य खोज और किसानों के सशक्तिकरण के लिए पूरी जानकारी दी जिससे कि वे मेंथा तेल की बुआई, बिकवाली, स्टोरिंग और फसल के चयन के समय सही फैसला ले सकें। एमसीएक्स के बिजनेस डेवलपमेंट के सिनियर मैनेजर सुनिल मिश्रा ने कहा कि एमसीएक्स पर मेंथा तेल की कीमतें अत्यंत पारदर्शक हैं और इलेक्ट्रोनिक मंच पर भागीदारी इसकी खोज में बड़े पैमाने पर हिस्सा लेते हैं। उन्होंने कहा कि अंकटाड, आईआईएम कोलकाता और आईआईएल लखनऊ ने मेंथा तेल पर रिसर्च किया और पाया कि एक्सचेंज पर न केवल इसके भागीदारों बल्कि किसानों को भी भरपूर फायदा हुआ है। मेंथा तेल के किसानों को उनकी फसल के प्रभावी मूल्य मिलते हैं।
कृषि विज्ञान केंद्र, अंबरपुर, सीतापुर के डा. विनय प्रताप सिंह ने कहा कि मेंथा तेल के मूल्यों में गत समय के दौरान काफी अस्थिरता रही है जो कि किसानों के लिए एक जोखिम है। मेंथा की प्रोसेसिंग औ्र आश्वसन ज्यादातर किसानों के खेतों में ही छोटे पैमाने पर होते हैं। इसीलिए एमसीएक्स जैसे मंच पर जोखिम प्रबंधन और मूल्य खोज निश्चित रुप से किसानों के लिए फायदेमंद रहेगा। फ्रैगरेंस एंड फ्लेवर डेवलपमेंट सेंटर के असिस्टेंड डायरेक्टर डा. आरके श्रीवास्तव ने इस अवसर पर कहा कि किसानों को बेस्ट फार्म मैनेजमेंट की नीति अपनानी चाहिए। बढिय़ा ग्रेड के सीड के इस्तेमाल से उत्पादकता को बढ़ाया जा सकता है। ये सीड सरकारी संस्थान जैसे एफएफडीसी ने विकसित किए हैं।