प्राकृतिक रंगों के साथ हर्बल गुलाल से मनी होली

श्यामल मुखर्जी गाजियाबाद। फागुन का महीना और होली का त्यौहार दोनों का रंग लोगों पर ऐसा चढ़ता है कि 100 भाग से बेसुरा आदमी भी इस अवसर पर गुनगुनाने लगता है । इस समय हर कोई रंगों की तरफ अनायास खिंचा चला आता है। इसे देखते हुए बाजार भी इस बार लगभग 2 वर्षों के बाद पूरी रौनक के साथ सजा संवरा तथा भरा पूरा नजर आया। इस बार बाजारों में खास आकर्षण का केंद्र रहा हर्बल गुलाल तथा रंगों की वैरायटी। इसके अलावा इस बार होली में विभिन्न किस्म की पिचकारीओं के साथ पटाखों का भी इंतजाम था । दिलचस्प बात यह थी कि इन पटाखों को चलाने में आगया चिंगारी की जरूरत नहीं पड़ती थी बल्कि इनके चलाने से रंग निकला करता था। इसके अलावा कलर क्रैकर्स ने भी इस बार लोगों को अपना दीवाना बनाया। इन क्रिकेट में अंदर गुलाल भरा हुआ था और जलाने पर गुलाल निकला करता था । इसके अलावा पटाखों की लड़ी ने भी लोगों का मन मोह लिया जिनके जलाने से आग की जगह विभिन्न कलर के गुलाल निकला करते थे । बाबा की बुलडोजर ब्रांड पिचकारी भी इस बार खूब चली ।पटाखों और अनार की कीमत ₹20 से लेकर ₹200 तक रखी गई थी । वहीं लड़ी की कीमत 100 थी ।