चुनाव डेस्क। यूपी विधानसभा चुनाव 2022 में अपनी राजनीतिक जमीन खो चुकी कांग्रेस को न केवल बड़ा झटका लगा है बल्कि उसके ‘लडक़ी हूं, लड़ सकती हूं’के नारे की भी हवा निकल गई है। इस बार कांग्रेस को केवल दो सीटों पर ही संतोष करना पड़ा है। यही नहीं, संघर्ष का प्रतीक बनकर ‘लडक़ी हूं, लड़ सकती हूं’ के नारे संग चुनाव मैदान में उतरने वाली कांग्रेस की स्टार महिला प्रत्याशी भी अपनी जमानत बचाने में नाकामयाब रहीं और इनमें से प्रत्येक 3000 हजार से भी कम वोट हासिल कर पाईं। कांग्रेस ने इस विधानसभा चुनाव में 148 महिला प्रत्याशियों को मैदान में उतारा था, जिसमें से केवल एक कांग्रेस विधानमंडल की नेता अराधना मिश्रा मोना ही जीत हासिल कर पाई हैं। कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा ने आधी आबादी को प्रतिनिधित्व देने के लिए चुनाव में 40 फीसदी टिकट महिलाओं को देने की बात कही थी और उन्होंने अपने वादे को पूरा भी किया। प्रियंका ने अपने वादे के अनुसार, समाज में संघर्ष करने वाली महिलाओं को यूपी विधानसभा चुनाव में टिकट देने के साथ-साथ उनके लिए प्रचार भी किया और अपने कार्यकर्ताओं की टीम को भी उनकी मदद के लिए मैदान में उतारा, लेकिन कांग्रेस की ये स्टार महिला प्रत्याशी पार्टी के लिए कुछ खास नहीं कर सकीं और अपनी जमानत तक नहीं बचा सकीं और दो से तीन हजार वोटों के बीच ही सिमट गईं।