चन्द्रशेखर रावण की जमानत भी नहीं बची

चुनाव डेस्क। आजाद समाज पार्टी को विधानसभा चुनाव में मुंह की खानी पड़ी। पार्टी ने सीएम के जिले में दो विधानसभा सीटों पर प्रत्याशी खड़े किए थे। इसमें पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष चंद्रशेखर आजाद भी ने जहां सीएम योगी आदित्यनाथ को गोरखपुर शहर सीट पर चुनौती दी। वहीं पार्टी ने दूसरा प्रत्याशी चिल्लूपार विधानसभा क्षेत्र में खड़ा किया था। कहीं भी पार्टी को उल्लेखनीय सफलता नहीं मिली। सीएम के खिलाफ चुनाव लडऩे का दांव महज सियासी स्टंट साबित हुआ। सीएम योगी को टक्कर तो देना दूर राष्ट्रीय अध्यक्ष चंद्रशेखर अपनी जमानत तक नहीं बचा सके। इतना ही नहीं, पार्टी के दूसरे प्रत्याशी को भी मुंह की खानी पड़ी। नतीजों ने पूर्वांचल में आजाद समाज पार्टी की तैयारियों को जोर का झटका दिया है। विधानसभा चुनाव के जरिए यूपी के सियासी संसार में इस बार आजाद समाज पार्टी ने जोरदार दस्तक देने की कोशिश की थी। पार्टी ने विधानसभा चुनाव से पहले सपा के साथ गठबंधन करने की कवायद की लेकिन उसकी कोशिशें परवान नहीं चढ़ सकीं। ऐन वक्त पर सपा ने झटका दे दिया। इसके बाद पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष चंद्रशेखर आजाद ने बड़ा दांव खेलते हुए सूबे के मुखिया योगी आदित्यनाथ के खिलाफ चुनाव लडऩे का ऐलान कर दिया। उन्होंने योगी को उनके गढ़ में चुनौती दी। हालांकि पार्टी का ग्राफ बढ़ाने का उनका यह दांव खास कारगर साबित नहीं हुआ। राष्ट्रीय अध्यक्ष को 7640 मत मिले। यह कुल मतों का 3.4 फीसदी है। इसके साथ ही उनकी जमानत जप्त हो गई। पार्टी ने चिल्लूपार से भी प्रत्याशी खड़ा किया था। यह विधानसभा दलित और ब्राह्मण बाहुल्य मानी जाती हैं। चिल्लूपार में भी पार्टी खास प्रदर्शन नहीं कर सकी। चंद्रशेखर ने सीएम के खिलाफ चुनाव लडऩे की घोषणा करके चुनाव में गर्माहट ला दी थी। भारी लाव-लश्कर के साथ भीम आर्मी के मुखिया ने सीएम के शहर में एंट्री की। प्रचार के दौरान शहर के अलग-अलग हिस्सों में घूमते रहे। इस टीम में ज्यादातर पश्चिमी यूपी के नेता व कार्यकर्ता रहे। चुनाव प्रचार के दौरान चंद्रशेखर ने सीएम पर आरोप भी लगाए। उनका यह दांव वोटरों को रिझाने में नाकामयाब रहा। भीम आर्मी के मंडल अध्यक्ष सत्येन्द्र भारती ने कहा कि परिणाम आशा के अनुरूप नहीं रहा। पार्टी के कार्यकर्ताओं ने मेहनत की। पार्टी का यह पहला चुनाव था। कार्यकर्ताओं की टीम नई है। चुनाव की तैयारी देर से शुरू हुई।